उदयपुर, 20 अप्रेल। असम के राज्यपाल महामहिम गुलाबचंद कटारिया ने कहा है कि मेवाड़ की कीर्ति भारत ही नहीं अपितु पूरी दुनिया में हैं। इस धरा के पुत्रों ने वो नाम कमाया है कि मेवाड़ का नाम आते ही देश-दुनिया नतमस्तक होकर हमें मान-सम्मान देती हैै। मेवाड़ की यह कीर्ति जब तक यह पृथ्वी है तब तक रहेगी, इसमें कोई शंका नहीं।
कटारिया गुरुवार को मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के बप्पा रावल सभागार में मीडिया एवं पीआर संस्थान न्यूट्रेलिटी वर्ल्ड कम्यूनिकेशन एंड मीडिया प्राईवेट लिमिटेड व ‘ट्रेंडिंग उदयपुर’ द्वारा आयोजित “मेवाड़ पुनर्खोज” पुस्तक के विमोचन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। राजस्थान के ख्यात वरिष्ठ पत्रकार डॉ. संदीप पुरोहित द्वारा लिखित “मेवाड़ पुनर्खोज” पुस्तक के इस समारोह के विशिष्ट अतिथि पूर्व राजपरिवार सदस्य एवं एमएमसीएफ ट्रस्टी डॉ. लक्ष्यराजसिंह मेवाड़ थे।
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कटारिया ने भगवान एकलिंगनाथ का स्मरण करते हुए कहा कि मेवाड़ पर एकलिंगनाथ का सदा से आशीर्वाद रहा है। उन्होंने कहा कि वीरता और आत्मसम्मान की इस धरा पर प्रकृति भी मेहरबान रही है। उन्होंने कहा कि मेवाड़ के गौरवपूर्ण इतिहास, कला-संस्कृति के बारे में आने वाली पीढ़ी को बताने की जिम्मेदारी हम सबकी है। उन्होंने मेवाड़ के शिल्प-स्थापत्य, कला, लोक जीवन, संस्कृति और परंपराओं पर पुस्तक प्रकाशन के लिए बधाई दी और इसे सराहनीय बताया।
विशिष्ट अतिथि पूर्व राजपरिवार सदस्य एवं एमएमसीएफ ट्रस्टी डॉ. लक्ष्यराजसिंह मेवाड़ ने कहा कि मेवाड़ का दिग्दर्शन कराती पुस्तक का विमोचन पर मेवाड़ धरा और मेवाड़ के महनीय व्यक्तित्व के हाथों कराने को गौरवपूर्ण बताया और आयोजकों के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने मेवाड़ की कला. संस्कृति और परंपराओं को अलग अंदाज से दिखाने के लिए मेवाड़ पुनर्खोज के शिल्प कौशल की सराहना भी की और इसे सफल सर्जना बताया।
आरंभ में अतिथियों के यहां पहुंचने पर ट्रेंडिंग उदयपुर के डायरेक्टर डॉ. प्रीति बोहरा, मनीष कोठारी. सुरेश कोठारी, दिनेश कोठारी, प्रमोद कोठारी, रोहित बोहरा, मनीष जारोली. प्रदीप भाणावत, हार्दिक कोठारी, विपुल वैष्णव, हेमंत जोशी आदि ने स्वागत किया। स्वागत उद्बोधन देते हुए डॉ. प्रीति बोहरा ने कहा कि मेवाड़ केवल एक भौगोलिक क्षेत्र को इंगित करने वाली संज्ञा मात्र नहीं है बल्कि मेवाड़ जीवंत संस्कृति, सभ्यता एवं जीवन पद्धति का नाम है। आहड़ की प्राचीन सभ्यता मेवाड़ के प्राचीनतम अस्तित्व की साक्षी है। भारत के इतिहास पर लिखी जाने वाली कोई भी पुस्तक महाराणा प्रताप, राणा कुम्भा एवं राणा सांगा के शौर्य एवं वीरता की गाथा के बिना अधूरी है। डॉ. पुरोहित की इस पुस्तक में मेवाड़ के इन सभी पहलुओं को उजागर किया गया है।
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वाग्देवी सरस्वती की छवि के सम्मुख दीप प्रज्वलन से आरंभ समारोह में अतिथियों ने पुस्तक का विधिवत विमोचन किया और आयोजकों को बधाई दी। कार्यक्रम का संचालन डॉ. राजकुमार व्यास ने किया जबकि आभार प्रदर्शन की रस्म मनीष कोठारी ने अदा की।
इस मौके पर सेवानिवृत्त आईएफएस राहुल भटनागर व इंद्रपालसिंह मथारू, समाजसेवी रवीन्द्र श्रीमाली, जिला प्रमुख ममता कंवर, ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा, प्रमोद सामर, अतुल चंडालिया, भंवरसिंह पंवार, तखतसिंह शक्तावत, कश्ती फाउंडेशन की श्रद्धा मुर्डिया, डॉ. प्रेम भंडारी, नानालाल वया, पंकजकुमार शर्मा, फिरोज खान, विनोद जैन, लोकेश कोठारी, डॉ. चित्रसेन, देवेन्द्र श्रीमाली सहित बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमी, समाजसेवी व शहरवासी मौजूद थे।